Saturday 22 August 2015

विचार-अनायास

हर क्षण जब है मरण यहाँ तो
पल-पल हमको जीना होगा...
छोड़ सभी झंझट जीवन की,
खोज अमृत पीना होगा.....
प्रेम ही वह, अमृत पानी
जिसपर टिका है ये अभिमानी
देह से अलग सत्ता हैं जिसकी..
कहते उपनिषद जिसकी कहानी..
आज नही तो, कल तो हमको,
फटता ह्रदय सीना होगा...
छोड़ सभी झंझट जीवन की,
खोज अमृत पीना होगा.....

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हर पल जीवन बरस रहा है,
तू क्यों बन्दे तरस रहा है?
बस खुद तो तू प्रेम बना ले,
बूंद-बूँद वो रिस जो रहा है!!

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तुम्हें अपने विचारों की धूल हटानी होगी,
तुम्हें अपने अतीत से खाली होना होगा...
तुम्हें आज, अभी इसी क्षण जीना होगा...
तुम्हें अज्ञात में एक छलांग लगानी होगी..
तुम्हें घृणा छोड़ प्रेम अपनाना होगा...
तुम्हें अपने से पार जाना होगा...
तुम्हें संगीत से प्रीत बढ़ानी होगी..
तुम्हें आनंद में नाचना होगा...
तुम्हें हर पल मुस्कुराना होगा.....
फिर देखना तुम, तुम न रह सकोगे...तुम "वह" हो जाओगे जो कभी आप होना चाहते थे जाने अनजाने....

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