Wednesday 18 April 2012

माँ

माँ


                                                                                                                                     
    










बचपन की शरारते और फिर माँ का बचाव,                                                         
यही तो रूप है माँ की ममता का
चोरी छिपे चाय का प्याला और ढेर सारा गुड
सदा याद दिलाता है माँ की ममता का!!१!!
                                   
बच्चे खाए, बच्चे पहने, यही सब वो सोचे वो,
पेट काट के खुद का अपना, भूखे पेट जब सोये वो,
तब न समझे माँ मोल तेरी ममता का
बचपन की शरारते और फिर माँ का बचाव
यही तो रूप है माँ की ममता का........

बच्चे पढ़ें, बच्चे बढ़ें, सपना यही था आँखों में,
अनवरत काम करें दिन भर, फिर फिर भी चैन न मिले रातों में,
कर्ज चूका न पाएंगे माँ तेरी ममता का
बचपन की शरारते और फिर माँ का बचाव
यही तो रूप है माँ की ममता का........

बीमार शरीर लेकिन इरादे कमजोर न पड़े
अपने बच्चों की खातिर दिन रात लड़े
पापा की बनके शक्ति संचार करें
गुस्से में भी प्यार परिवार को अपार करें
समझ ना पाएं प्यार माँ तेरी ममता का
बचपन की शरारते और फिर माँ का बचाव
यही तो रूप है माँ की ममता का........

पापा से गुस्सा होना, एक पल में मान जाना,
छोटी-२, बेंतो पे पापा को देना ताना,
मैं कुछ इंतज़ाम करुँगी, ये कहके विश्वास दिलाना,
ना रहे बच्चे भूखे-आज ये तथ्य हमने जाना,
ना कर पाए कदर, माँ तेरी ममता का
बचपन की शरारते और फिर माँ का बचाव
यही तो रूप है माँ की ममता का........

सीधी सच्ची सरल स्वभाव की
ऐसी औरत थी अपने गाव की-

5 comments:

  1. your mother is immortal...loved it what you have written above..

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  2. Yes Dada, she is always with me..

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  4. बहुत सन्दर मामा जी ।

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