वो गाय, गोबर और अपनों का साथ
अम्मा की धात, बारात की दाल भात
मुझे आज भी याद है!
वो नंगे पांव मिट्टी कुचलना
दिन दोपहर बस चलते रहना
मुझे आज भी याद है!
वो बारिश का कच्यार, और पहाड़ी प्यार
वो ऊँचे पेड़, वो गाड़ गध्यार ...
मुझे आज भी याद है!
अँधेरे में सुबह बैल जोतना
वो बुवाई, खेतों में मंडवा रोपना,
मुझे आज भी याद है!
वो भारी कंधे, और पैदल रस्ता
स्कूल की यादें, वो भारी बस्ता
मुझे आज भी याद है!
वो रोटी का रोल, सेहत अनमोल
क्रिकेट की दीवानगी, वे पहाड़ी बोल
मुझे आज भी याद है!
मैं कुछ ना भूला, मुझे सब याद है!!
अम्मा की धात, बारात की दाल भात
मुझे आज भी याद है!
वो नंगे पांव मिट्टी कुचलना
दिन दोपहर बस चलते रहना
मुझे आज भी याद है!
वो बारिश का कच्यार, और पहाड़ी प्यार
वो ऊँचे पेड़, वो गाड़ गध्यार ...
मुझे आज भी याद है!
अँधेरे में सुबह बैल जोतना
वो बुवाई, खेतों में मंडवा रोपना,
मुझे आज भी याद है!
वो भारी कंधे, और पैदल रस्ता
स्कूल की यादें, वो भारी बस्ता
मुझे आज भी याद है!
वो रोटी का रोल, सेहत अनमोल
क्रिकेट की दीवानगी, वे पहाड़ी बोल
मुझे आज भी याद है!
मैं कुछ ना भूला, मुझे सब याद है!!
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