Monday, 17 August 2015

बूंद वही सागर में समाया है!!

जिनको अहंकार समझ में आया है,
उनको जीना खूब आया है!
समर्पण जिनके पास है "नब्बू"
बूंद वही सागर में समाया है!!
छोड़ो दौड़ा-भागी, ये आपाधापी
एक संकल्प है जिसने अपने दम पर दुनिया नापी,
आनदं वंचित वही रहा, विकल्प जिसने पाया है
समर्पण जिनके पास है "नब्बू"
बूंद वही सागर में समाया है!!
सतत प्रयास की धारा में
बढ़ना जिसने सीखा है
रोक पाई क्या दुनिया उसको
जिसका संकल्प चट्टान सरीखा है
क्या रुका है कभी वह, ईश्वर जिसकी छत्र-छाया है
समर्पण जिनके पास है "नब्बू"
बूंद वही सागर में समाया है!!
ज्ञान नही विज्ञान का पूजक
वह अपना निर्माता है
कदम-कदम को अनुभव करके
मंजिल अपनी पाता हैं
संसार वृक्ष से अलग पड़ा वह, संसार तो बस माया है
समर्पण जिनके पास है "नब्बू"
बूंद वही सागर में समाया है!!---नवीन

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