Wednesday, 12 August 2015

एक टीस! मचलती हैं कसमसाती हैं!!

एक टीस!
मचलती हैं कसमसाती हैं
कभी खुद से दूर करती 
कभी पास लाती हैं!
हा! बछो ने सुख ना दिया 
हमने क्या क्या न किया
यह बात रह-रह सताती हैं!
एक टीस!
मचलती हैं कसमसाती हैं
अहम् भाव भी ठम्म ठेलता हैं कभी,
हमारे बाप होने का भी फायदा क्या
बच्चे ठोकर मारते हमारे निर्देशों को
ऐसे परिवार का कानून क्या कायदा क्या,
एक डरावनी आह, चुभती, डराती हैं,
एक टीस!
मचलती हैं कसमसाती हैं
हर तरफ कुछ कमी सी हैं
कुछ भी पूर्ण नही, दिल में नमी सी हैं,
माँ बाप की आशाएं....बच्चो
हमको भी तो समझों
सारा जहीन समझने में, बिसरो न हमको,
बिसरों न हमको!!!!

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