सियासत गरम हो उठी, ठंडी पड़ी लाशों पर
कुछ रहम तो करो, उन सहमी सांसों पर,
मेरे वतन! अपने होने का एहसास तो करा
बहुत आहत हूँ इन कुटिल सियासी कयासों पर!
कुछ रहम तो करो, उन सहमी सांसों पर,
मेरे वतन! अपने होने का एहसास तो करा
बहुत आहत हूँ इन कुटिल सियासी कयासों पर!
http://hindihainhumsab.blogspot.in/2014/11/blog-post.html
ReplyDeleteRashmi ji..Pranam..aap achha kaam kar rhi hain Hindi ke kshetra mein
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