Friday, 9 September 2016

तू अनंत का राही तू रुकना मत!


तुझे धूप भी रोकेगी, तुझे छाँव भी रोकेगी
कभी कभी मायूसी भी तेरे संग संग हो लेगी
पर तू अछूता रहकर भी ठहरना मत
तू अनंत का राही तू रुकना मत!
तुझे क्रोध भी सतायेगा, तुझे लोभ भी लुभाएगा
राग और द्वेष भी आँख पर अंधी-पट्टी फहराएगा
पर तू काम की अग्नि में दहकना मत
तू अनंत का राही तू रुकना मत!
तुझे अभाव भी नोचेंगे, कुछ लोग ऐसा भी सोचेंगे
तू दर्द में है ये कहकर आंसू भी नहीं पोछेंगे
सजल नेत्रो से भी राह धूमिल करना मत
तू अनंत का राही तू रुकना मत!
तुझे माया भी घेरेगी, अपनी जादुई छटा बिखेरेगी
कभी कोई दबी कुचली कुंठा अपना बदला लेगी
इन सब झंझावातों के बीच फफकना मत
तू अनंत का राही तू रुकना मत!
तू अनंत का
राही तू रुकना मत!

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