स्थाई:
मैं व्याकरण का राग में छौं,
दिन-रात भागम भाग में छौं
अंतरा:
वर वर्णिनी मिल गेछ में कनि
अब लग्न सुझाने आस में छौं
अब लग्न सुझाने आस में छौं
चिर जोभना, यो बान सुन्दर
मन में सबों कें छा बसी हो!
मैं न्यूत दयुलो, आप सबों कन,
"शैलज" अला! विश्वास में छौं.।।
दोहा:
सम्पूरण सुर लागही, ग-ध कोमल जंह लाग।
"शैलज" शैल सुधा सुखद, स-प वादी धरि राग।।
आरोह:- सा रे ग म प ध नि सां। सां नि ध प म ग रे सा
पकड़:- सा नि. सा, रे प म प ग रे सा
राग: रसूल (तीन ताल)
राग: परिचय-
ग म - म ग औडव भेद यह ध रि वादी संवाद
"शैलज" राग- रसूल में, मृदु आरोह निषाद।
आरोहादी- सा रे प ध नि सां। सां नि ध प रे सा
पकड़:- सा, रे प, ध नि ध, प रे सा
पद रचना:-
स्थाई:- तू ही सब में एक राम हैं, तेरे नाम भले ही न्यारे।
अंतरा:
तू हि मुहम्मद , तू ही ईशा, तू ही राम सकल जगदीशा
तू हि मुहम्मद , तू ही ईशा, तू ही राम सकल जगदीशा
तू हि गुरु, तू हि गौड पिया रे ।।
तेरे नाम भले ही न्यारे
"शैलज" तेरे भेद निराले, काले गोरे हम सब नाले ।
जाने वो तेरे प्यारे, तेरे नाम भले ही न्यारे
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