Friday, 29 April 2016

आत्म प्रेरणा होने दे

अंतर्वीणा बजने दे, आत्म प्रेरणा होने दे
तरु अच्छाई का लगने को बीज स्वयं को बोने दे
अंतर्वीणा बजने दे, आत्म प्रेरणा होने दे!

उठ जाग भाग प्रातः-काल हुआ
रवि नील गगन में लाल हुआ
अब तू भी चरण बढ़ा अपने...
देख क्या वसुधा का हाल हुआ
अंतर्द्वंद्व निकलने दे, आलस्य पड़ा है सोने दे
तरु अच्छाई का लगने को बीज स्वयं को बोने दे.!

अब रुक मत, तू भर उड़ान यहाँ से
एक छलांग लगा आसमान से
पथिक अनंत का है तू साथी
कर संकल्प दृढ लग जी जान से
अंतर्छंद निस्सरने दे, शुभ संकल्प संजोने दे
तरु अच्छाई का लगने को बीज स्वयं को बोने दे

शुभ अभ्यासों के पंखों को और गति दे ज्ञान दे
अनुजों पर तू प्यार उड़ेल और बड़ों को सम्मान दे
चल उड़ जा पंछी दूर गगन में , प्रेम मगन में
सुर-लय बेमिसाल अब तान दे
अंतर्नाद उभरने दे, शोर भीतर का खोने दे
तरु अच्छाई का लगने को बीज स्वयं को बोने दे

अंतर्वीणा बजने दे, आत्म प्रेरणा होने दे

तरु अच्छाई का लगने को बीज स्वयं को बोने दे

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