मैं पागल नहीं मैं
जागरूक हूँ
इस माती का सच्चा
युवक हूँ ,
योगयुक्त महामानव हूँ
मैं महापुरुषों का
प्रतिपूरक हूँ
प्राण-फूंक आज़ाद
प्रतिमा में, एक जोश “नवीन” जगाना है
योगमय कर समग्र विश्व
को, मानवता का पाठ पढ़ाना है
प्रचंड पुरुषार्थ से
लबालब,
मैं राष्ट्रभक्ति में
भावुक हूँ
मैं पागल नहीं मैं
जागरूक हूँ
स्वाभिमान का शंखनाद
हूँ
मैं भगतसिंह मैं आज़ाद
हूँ
मैं शहीदों का जोश
अमर हूँ
मैं राष्ट्रगोष्ठी का
पावन संवाद हूँ
मैं अदम्य साहसी,
वज्र सा कठोर
पर भीतर से नाजुक हूँ
मैं पागल नहीं मैं
जागरूक हूँ
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