Sunday, 5 June 2016

लो लोकतंत्र हम ला गए|

ये कविता मेरे पिताश्री ने आदरणीय मोदी जी के सपथ ग्रहण समारोह के लिए लिखी हैं कैसी लगी आप पढ़कर जरूर प्रतिक्रिया दीजियेगा....... =सबल लोकतंत्र= लो लोकतंत्र हम ला गए| जन जन को जो भा गए| वह बीच हमारे आ गए| हर हर को मोदी भा गए| लो लोकतंत्र हम ला गए|| राम राज का सूत्र लिए| भेदभाव सब दूर किये| विश्व बंधुता मंत्र लिए| सामनीति का तंत्र लिए| वह बीच हमारे आ गए| लो लोकतंत्र हम ला गए|| अब सुख के दिन भी आयेंगे| सब रोजी-रोटी पाएंगे| नहीं हाथ कभी फैलायेंगे| अब ऐसे अवसर ला गए| लो लोकतंत्र हम ला गए|| शिक्षा सहचरी हमें सिखायें| ज्ञान के पथ पर हमें बढायें प्रेम से रहना भी समझायें| कोई भी हमको तोड़ न पाएं मैकाले ही झुठला गए| लो लोकतंत्र हम ला गए|| तोड़ो -बाटों नहीं चलेगा| हम सब जाने, तुम क्या जानो... ऐसा कहना नहीं चलेगा संसद के स्वामी हम ही हैं ऐसा खेल भी नहीं चलेगा| यह हम तुमको समझा गए| लो लोकतंत्र हम ला गए|| हम सत्ता सुख लें नहीं चलेगा| जन का शोषण नहीं चलेगा| सच्चा कर्म ही ध्येय हमारा| इसी मंत्र से देश चलेगा|| यह संकल्प जतला गए| लो लोकतंत्र हम ला गए|| सारी कपटी चालें छोड़ो सच्चाई से मुहं न मोड़ो जितना लूटो वापस करदो  अच्छाई से नाता जोड़ो || प्रेम से हम सब बता गए लो लोकतंत्र हम ला गए || हम चुनाव करते हैं जब-जब तब-तब धोखा खायें हैं चिकनी चुपड़ी बातों के- बिगड़े लालच ललचाएं हैं | समझ गए इन छः दशकों में सब सवा अरब में समा गए | लो लोकतंत्र हम ला गए ||

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